20 June 2019

YOGA DAY













INTERNATIONAL YOGA DAY

भगवद्गीता में योग 

योग का अर्थ

योग का अर्थ है 'परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध का विज्ञान।' भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण योग में उन्नति के अलग अलग चरण बताते हैं और अंत में निष्कर्ष देते हैं कि सर्वोच्च योगी वह है जो उनसे परम अंतरंग रूप में युक्त है।

 

योग का प्रारम्भ

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनंजय
सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते

हे अर्जुन! जय अथवा पराजय की समस्त आसक्ति त्याग कर समभाव से अपना कर्म करो | ऐसी समता योग कहलाती है | (.गी. 2.48)

 

योगी कौन है?

श्रीभगवानुवाच
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः
संन्यासी योगी निरग्निर्न चाक्रियः


श्रीभगवान् ने कहाजो पुरुष अपने कर्मफल के प्रति अनासक्त है और जो अपने कर्तव्य का पालन करता है, वही संन्यासी और असली योगी है | वह नहीं, जो तो अग्नि जलाता है और कर्म करता है | (.गी. 6.1)

 

उन्नत योगी

यदा हि नेन्द्रियार्थेषु कर्मस्वनुषज्जते
सर्वसंकल्पसंन्यासी योगारूढस्तदोच्यते


जब कोई पुरुष समस्त भौतिक इच्छाओं का त्यागा करके तो इन्द्रियतृप्ति के लिए कार्य करता है और सकामकर्मों में प्रवृत्त होता है तो वह योगारूढ कहलाता है | (.गी. 6.4)

 

ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः


वह व्यक्ति आत्म-साक्षात्कार को प्राप्त तथा योगी कहलाता है जो अपने अर्जित ज्ञान तथा अनुभूति से पूर्णतया सन्तुष्ट रहता है | ऐसा व्यक्ति अध्यात्म को प्राप्त तथा जितेन्द्रिय कहलाता है | वह सभी वस्तुओं कोचाहे वे कंकड़ हों, पत्थर हों या कि सोनाएकसमान देखता है | (.गी. 6.8)

 

अधिक उन्नत योगी

सुहृन्मित्रार्युदासीनमध्यस्थद्वेष्यबन्धुषु
साधुष्वपि पापेषु समबुद्धिर्विशिष्यते


जब मनुष्य निष्कपट हितैषियों, प्रिय मित्रों, तटस्थों, मध्यस्थों, ईर्ष्यालुओं, शत्रुओं तथा मित्रों, पुण्यात्माओं एवं पापियों को समान भाव से देखता है, तो वह और भी उन्नत माना जाता है | (.गी. 6.9)

 

सर्वोच्च योगी

योगिनामपि सर्वेषां मद्गतेनान्तरात्मना
श्रद्धावान् भजते यो मां मे युक्ततमो मतः


और समस्त योगियों में से जो योगी अत्यन्त श्रद्धापूर्वक मेरे परायण है, अपने अन्तःकरण में मेरे विषय में सोचता है और मेरी दिव्य प्रेमाभक्ति करता है वह योग में मुझसे परम अन्तरंग रूप में युक्त रहता है और सबों में सर्वोच्च है | यही मेरा मत है | (.गी. 6.47)


http://bit.ly/YogaInBhagavadGita

12 June 2019

IQ EQ AQ

There are three types of intelligence.

1. *Intelligent Quotient* (IQ):
this is what helps one to 'know books, solve maths; memorize things and recall subject matters.

2. *Emotional Quotient* (EQ): 
this is what makes someone be able to maintain peace with others; keep upto time; be responsible; be honest; respect boundaries; be humble, genuine and considerate.

3. *Social Quotient* (SQ): this is what makes people be able to build network of friends and maintain it over a long period of time.

People who have higher EQ and SQ tend to go farther in life than those with high IQ but low EQ and SQ. 
Most schools capitalize on improving IQ level while EQ and SQ are played down. 
A man of high IQ can end up being employed by a man who has high EQ and SQ but has a very average IQ. 

Your EQ represents your character;  Your SQ represents your fame. 

Give in to habits that will improve these three Qs but more especially your EQ and SQ. 
EQ and SQ make one manage life better than the other.   

Pls don't teach children only to improve IQ but also to improve EQ and SQ.

Now there is a 4th one :
A new paradigm perhaps..

4. *The Adversity Quotient*: is that which makes people go through a rough patch in life and come out without losing their mind! 

The AQ determines who will give up in face of troubles, who will abandon their family or who will consider suicide.